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15 हजार गैलेक्सीज की हुई पहचान -हबल टेलिस्कोप ने खोजा दूर गैलेक्सी का पता

15 हजार गैलेक्सीज की हुई पहचान -हबल टेलिस्कोप ने खोजा दूर गैलेक्सी का पता

वाशिंगटन। ऐस्ट्रोनॉमर्स ने 5 एफआरबीएस जिन गैलेक्सी से आ रही हैं, उनका पता लगा लिया है। हबल टेलिस्कोप ने यह खोज की है। टेलिस्कोप में लगे अल्ट्रावॉइलट और इन्फ्रारेड कैमरों ने देखा कि स्टार मैप पर ये तरंगें कहां से आ रही हैं। इससे यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि ये पैदा कैसे होती हैं। अभी तक 15 हजार के आसपास तरंगें जिन गैलेक्सीज से आ रही हैं, उन्हें डिटेक्ट किया गया है।
इस बार क्लस्टर तरंगों के आने से इसके पीछे की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलने की उम्मीद है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की ऐस्ट्रोनॉमर मैनिंग्स ने नए नतीजों को उत्साहजनक बताया है। उनका कहना है कि पहली बार इतने एफआरबीएस को हाई रेजॉलूशन में देखा गया है और हबल ने दिखाया है कि ये एक गैलेक्सी की स्पाइरल आर्म पर या पास में हैं। ज्यादातर विशाल गैलेक्सी अभी नई हैं और इनमें सितारे बन रहे हैं। एफआरबीएस  की पहचान से गैलेक्सी के द्रव्यमान और उसमें बनने वाले सितारों की गति को समझा सकता है।गैलेक्सी में जहां से एफआरबी आ रहे हैं, वहां क्या हो रहा है, यह भी समझा जा सकता है। सूरज जितनी ऊर्जा एक साल में उत्सर्जित करता है, एफआरबी उतनी एक पल के हजारवें हिस्से में करते हैं। ऐसे में उनके बारे में जो खोज होगी, उससे उनके बारे में ज्यादा समझने में मदद मिलेगी। समस्या यह होती है कि ये इन्हें सिर्फ कुछ मिलिसेकंड के लिए ऑब्जर्व किया जा सकता है और ये कब होंगी, इसके बारे में पता नहीं होता। इससे उनके स्रोत या वजह के बारे में पता करना मुश्किल होता है। किसी गैलेक्सी में स्पाइरल आर्म्स पर सबसे नए और गर्म सितारे होते हैं। 
कोई एफआरबी जहां से आ रही है, उस आधार पर गैलेक्सी के बारे में समझा जा सकता है। ये पांच एफआरबी आर्म के सबसे चमकीले हिस्से से नहीं आई हैं। इस आधार पर माना जा रहा है कि ये मैगनेटार से आ रही हो सकती हैं। ये ऐसे घने सितारे होते हैं जिनका चुंबकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है। विशाल सितारे जब न्यूट्रॉन स्टार बन जाते हैं, तो मैग्नेटाइज भी हो सकते हैं। इससे इनसे चमक निकलती है और सतह पर होने वाली चुंबकीय प्रक्रियाओं से रेडियो लाइट भी उत्सर्जित हो सकती है। बता दें ‎कि ब्रह्मांड की कई ऐसी पहेलियां हैं जिन्हें सुलझाना अभी बाकी है। फास्ट रेडियो बर्स्ट्स भी इन्हीं में से एक है। ये बेहद छोटी और तीव्र रेडियो वेव पल्स डीप स्पेस से आती हैं लेकिन इनके पीछे के कारण को अभी तक समझा नहीं जा सका है। 
 

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