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बाबा ने ज्योतिष विद्या और ज्योतिषाचार्यों के रवैये की कड़ी आलोचना की 

बाबा ने ज्योतिष विद्या और ज्योतिषाचार्यों के रवैये की कड़ी आलोचना की 

हरिद्वार । एलोपैथी को आड़े हाथों लेने के बाद बाबा रामदेव ने ज्योतिष विद्या और ज्योतिषाचार्यों के रवैये की कड़ी आलोचना जाहिर की। ज्योतिषियों पर लोगों को बहकाने का रामदेव ने सीधा आरोप लगाकर कहा कि किसी भी बड़ी घटना के बारे में ये विद्वान कोई भविष्यवाणी या अनुमान नहीं दे सके। दूसरी तरफ, रामदेव की आलोचना को ज्योतिष के जानकारों ने अनर्गल बयानबाजी पर पलटवार किया कि 'योग और आयुर्वेद के नाम पर रामदेव ने खुद अरबों की इंडस्ट्री खड़ी की है। रामदेव ने ज्योतिषाचार्यों पर निशाना साधकर कहा कि काल, घड़ी और मुहूर्त के नाम पर ये लोगों को बहकाते हैं, क्योंकि सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं, इन्हें कोई अनुमान नहीं है। खबरों के मुताबिक रामदेव ने साफ कहा, न तो ये लोग कोरोना महामारी के बारे में कोई भविष्यवाणी दे सके न ही ब्लैक फंगस को लेकर और न ही तब कोई पूर्वानुमान दे पाए थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी। रामदेव ने कहा कि ये बस बैठे बैठे किस्मत बताते रहते हैं। 
योग शिविर में साधकों से बाबा ने कहा, मैं तो विशुद्ध रूप से हिंदी और संस्कृत बोलता हूं और ऐसा इसकारण भी करता हूं, क्योंकि यही लोग बोलते थे कि हिंदी और संस्कृत बोलने वाला कामयाब आदमी नहीं बन सकता..अब हमारे द्वारा झंडे गाड़े कि सब कहने लगे हैं, कि हिंदी पढ़नी चाहिए, संस्कृत पढ़नी चाहिए..अगले 20 से 25 सालों में गुरुकुल में पढ़ने वाले ही देश चलाएंगे और मैं यह प्रयोग करके बताऊंगा। यही नहीं, बल्कि रामदेव ने एक बड़ा मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा कर कहा कि पतंजलि संस्था में बनने वाले मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस डिग्रीधारी पास होंगे। 
हरिद्वार में ज्योतिष के कई जानकारों ने रामदेव के इस बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने ज्योतिष को आडंबर कहा था। एक खबर में भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी के प्रतीक मिश्रपुरी के हवाले से कहा गया कि ज्योतिष को नकारने का मतलब हिंदुओं के प्राचीन व पवित्र वेदों को नकारना है।वहीं, उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी में ज्योतिष के एचओडी डॉ.रतनलाल के मुताबिक रामदेव का नज़रिया व्यावसायिक हो गया है। वास्तव में वह आर्य समाज से संबंध रखते हैं,तब उन्हें वेदों का सम्मान करना चाहिए।श्री रामनाम विश्व बैंक संस्था के पंडित सुमित तिवारी ने कहा कि आयुर्वेद हो या ज्योतिष दोनों ही वेदों के अंग हैं। बाबा रामदेव ने आयुर्वेद की इंडस्ट्री खड़ी कर ली है और योग करवाने के लिए लोगों से पैसे लेते हैं। 
 

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