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नासा ने बनाया उल्कापिंड को डिटेक्ट करने वाला सेटेलाइट -काफी पहले वैज्ञा‎निकों को कर देगा आगाह

नासा ने बनाया उल्कापिंड को डिटेक्ट करने वाला सेटेलाइट -काफी पहले वैज्ञा‎निकों को कर देगा आगाह

लंदन।  नासा ने एक सैटेलाइट डिजाइन किया है, जिसका मुख्य काम है अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ बढ़ने वाले उल्कापिंडों को डिटेक्ट करना। ये सैटेलाइट दूर से आ रहे उल्कापिंडों को सेन्स कर लेगा और वैज्ञानिकों को इसे लेकर काफी पहले आगाह कर देगा। अगर उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की संभावना होगी, तो उसे काफी पहले ही खत्म कर दिया जाएगा। इससे भविष्य में उल्कापिंड के टकराने की वजह से पृथ्वी के तबाह होने की संभावना खत्म हो जाएगी।
 नासा के अधिकारियों ने अंतरिक्ष के रखवाले इस उपग्रह को 2026 में लॉन्च करने का प्लान बनाया है। इसे नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट नाम दिया गया है। इसके शुरूआती डिजाइन को मंजूरी दे दी गई है। ‎नियो सर्वेयर प्रोग्राम साइंटिस्ट माइक केली ने बताया कि यह प्रोजेक्ट काफी इम्पोर्टेन्ट है। उन्होंने कहा कि ‎नियो सर्वेयर उन उल्कापिंडों को सेन्स कर पाएंगे जो आगे पृथ्वी से टकरा सकते हैं। साथ ही पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। ये रखवाले 140 मीटर तक बड़े उल्कापिंडों को खोज के लिए डिज़ाइन किये गए हैं। अगर थोड़ी भी संभावना हुई कि ये पृथ्वी से टकराएंगे, तो उसे इससे पहले ही नासा तबाह कर देगी या उसका रास्ता बदल देगी।बता दें ‎कि अंतरिक्ष में ग्रहों के टूटे टुकड़े घूमते रहते हैं। इन टुकड़ों में से कुछ कई बार पृथ्वी की तरफ भी आने लगते हैं। अगर वैज्ञानिकों के दावे को माने, तो सैंकड़ों सालों पहले इसी उल्कापिंड के टकराने की वजह से पृथ्वी से डायनासोर खत्म हो गए थे। 
इसके बाद भी कई बार उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजर चुके हैं। इस दौरान पृथ्वी के तबाह होने की खबरें सामने आती रहती हैं। ऐसा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है। अगर इससे आकर्षित होकर उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाए, तो तबाही मच जाएगी। 2020 में जब कोरोना महामारी की वजह से दुनिया में लॉकडाउन लग गया था, तब अप्रैल के महीने में कई एक्सपर्ट्स ने पृथ्वी के खत्म होने की चेतावनी दी थी। इसके पीछे वजह बना अंतरिक्ष से तेजी से गिर रहा उल्कापिंड। कहा गया कि ये उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाएगा और धरती खत्म हो जाएगी। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद भी कई उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गिरते रहे हैं, जिससे पृथ्वी पर तबाही की संभावना जताई जाती रही है। 
 

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