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अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक की मांग की

अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक की मांग की

मुंबई । महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। देशमुख अब तक दो बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने का समन टाल चुके हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख को मामले के जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए  तीसरा नोटिस जारी किया  है। देशमुख से दक्षिण मुंबई में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में अपना बयान सोमवार को दर्ज कराने के लिए कहा गया है। उनके बेटे ऋषिकेश देशमुख को भी समन जारी कर छह जुलाई को बुलाया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने ने एक अदालती दस्तावेज में आरोप लगाया था कि ऋषिकेश हवाला लेनदेन की देखरेख करता था। देशमुख (72) को इससे पहले भी दो समन जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वह कोरोना संक्रमण के खतरे का हवाला देकर पेश नहीं हुए और उन्होंने ईडी के समक्ष वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अपना बयान दर्ज कराने का आग्रह किया।
देशमुख को कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने एवं जबरन वसूली करने वाले गिरोह से जुड़े धनशोधन के एक मामले के संबंध में ईडी ने समन जारी किया है। देशमुख ने इन आरोपों के कारण महाराष्ट्र के गृहमंत्री के पद से इस साल अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था।
ईडी ने पिछले महीने मुंबई और नागपुर में देशमुख, उनके सहयोगियों और अन्य लोगों के परिसरों पर छापे मारे थे, जिसके बाद निदेशालय ने पहला समन जारी किया था। बाद में एजेंसी ने उनके दो सहयोगियों- उनके निजी सचिव संजीव पलांडे (51) और निजी सहायक कुंदन शिंदे (45) को गिरफ्तार कर लिया था। वे छह जुलाई तक ईडी की हिरासत में हैं।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख पर कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था, जिसके आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। इसी के बाद ईडी ने देशमुख और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने मुंबई पुलिस के निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को मुंबई के बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने को कहा था। 
 

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