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भारतीय वैज्ञानिकों ने देखा चमकते हुए दुर्लभ सुपरनोवा को - आमतौर पर ये निकले होते हैं बहुत विशाल सितारों से 

भारतीय वैज्ञानिकों ने देखा चमकते हुए दुर्लभ सुपरनोवा को - आमतौर पर ये निकले होते हैं बहुत विशाल सितारों से 

नई दिल्ली ।  भारतीय वैज्ञानिकों ने बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र वाले आकर्षक न्यूट्रॉन सितारे से ली गई ऊर्जा से चमकते हुए सुपरनोवा को देखा है। सुपरनोवा शक्तिशाली और चमकदार तारकीय विस्फोट को कहा जाता है जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा कि ऐसे प्राचीन अंतरिक्षीय पिंडों के गहरे अध्ययन से ब्रह्मांड के शुरुआती रहस्यों का पता लगाया जा सकता है।  इस प्रकार के सुपरनोवा, जिन्हें सुपरलुमिनस सुपरनोवा (एसएलएसएनई) कहा जाता है, बेहद दुर्लभ होते हैं। 
डीएसटी ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये आमतौर पर बहुत विशाल सितारों (जिनकी न्यूनतम द्रव्यमान सीमा सूर्य से 25 गुना अधिक होती है) से निकले होते हैं। हमारी आकाशगंगा में ऐसे विशाल सितारों का संख्या वितरण बहुत कम है। इनमें से, एसएलएसएनई-1 को अब तक स्पेक्ट्रोस्कोप रूप से पुष्टि की गई लगभग 150 घटनाओं में गिनती की गई है। इसने कहा कि ये प्राचीन वस्तुएं सबसे कम समझे गए सुपरनोवा हैं क्योंकि उनके अंतर्निहित स्रोत अस्पष्ट हैं और उनके अत्यंत चमकीलेपन के कारण भी साफ नहीं हैं। विभाग ने बताया कि सुपरनोवा 2020 की पहली बार खोज ज्विकी ट्रांजिएंट फैसिलिटी ने 19 जनवरी, 2020 को की थी। इसकी स्टडी डीएसटी के तहत आने वाला अनुसंधान संस्थान, आर्यभट्ट अवलोकन विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरिज) के वैज्ञानिक फरवरी 2020 से कर रहे थे। फिर मार्च और अप्रैल में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान भी किया। इसने कहा कि सुपरनोवा का स्पष्ट रूप क्षेत्र में अन्य वस्तुओं के समान था। 
हालांकि, एक बार जब चमक का अनुमान लगा लिया गया, तो यह एक बेहद नीली वस्तु निकली जो इसके प्रकाश संबंधी विशेषता को दर्शा रही थी।  डीएसटी ने बताया कि वैज्ञानिकों ने पाया कि प्याज जैसे ढांचे वाले सुपरनोवा की बाहरी परतें उतर गई हैं और उसका अंदरूनी हिस्सा उधार ली गई ऊर्जा स्रोत से चमक रहा था। यह अध्ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की ‘मंथली नोटिस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।विभाग ने कहा कि टीम ने भारत में हाल में सेवा में लाए गए देवास्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी-3.6एम) के साथ ही दो अन्य भारतीय टेलीस्कोपों - संपूर्णानंद टेलीस्कोप-1.04एम और हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप 2.0एम में विशेष प्रबंध कर इसे देखा।
 

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