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 तेज प्रताप से बढ़ी टशन, राजद या फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं जगदानंद सिंह  -तेज प्रताप ने राजद का माहौल इतना बिगाड़ दिया कि करीबियों को खोते जा रहे लालू यादव 

 तेज प्रताप से बढ़ी टशन, राजद या फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं जगदानंद सिंह  -तेज प्रताप ने राजद का माहौल इतना बिगाड़ दिया कि करीबियों को खोते जा रहे लालू यादव 

पटना। राष्‍ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का राजद कार्यालय आने-जाने के 8 दिन से अधिक बीत गए। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि वह तेज प्रताप यादव के बयानों से बेहद आहत हैं और उनको मनाने-समझाने के सारे प्रयास अभी तक विफल साबित हुए हैं। ऐसे में अब चर्चा यही है कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं। चर्चा यह भी है कि अगर वह पार्टी न भी छोड़ें तो कम से कम अपना प्रदेश अध्यक्ष का पद तो छोड़ ही देंगे। बिहार की सियासत के जानकार कहते हैं कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबियों में जगदानंद सिंह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जो तेज प्रताप यादव के टारगेट पर रहे हैं। खुद को सेकेंड लालू बताने वाले तेज प्रताप यादव ने एक-एक कर लालू यादव के करीबियों को निशाना बनाया और माहौल इतना बिगाड़ दिया कि या तो किसी ने लालू का साथ छोड़ दिया या फिर कोई अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए। 
जगदानंद सिंह से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे पर भी तेज प्रताप कटाक्ष करते रहे हैं। रघुवंश बाबू तो इतने व्यथित हुए कि निधन से पहले उन्होंने अस्पताल से ही अपने सबसे करीबी लालू का साथ छोड़ने का ऐलान कर दिया था।
  दरअसल, तब तेज प्रताप यादव ने राजद के फाउंडर मेंबर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह की तुलना आरजेडी के समंदर में एक लोटा जल से की थी। तब रघुवंश बाबू ने तेज प्रताप के बयान से ही आहत होकर अपने निधन के ठीक पहले आरजेडी से इस्‍तीफा दे दिया था। तब भी लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश बाबू के लिए इमोशनल संदेश भी भेजा, लेकिन डैमेज कंट्रोल की तमाम कोशिशें नाकाम रही थीं। एक वक्त राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे थे। माना जाता है कि तब तेज प्रताप आरजेडी में अपना एक पदाधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की सहमति नहीं थी। तेज प्रताप यादव ने रामचंद्र पूर्वे पर चुगली करने और फोन न उठाने का आरोप लगाया था। फलस्वरूप पूर्वे को 2019 में पद छोड़ना पड़ गया था। रामचंद्र पूर्वे लालू के करीबी माने जाते रहे हैं। उन्होंने 1997 में जनता दल से अलग होकर लालू की नई बनी पार्टी का संविधान तैयार किया था। चारा घोटाले में लालू जब जेल गए तो राबड़ी देवी के साथ मंत्री के रूप में सबसे पहले शपथ लेने वाले पूर्वे ही थे। तेज प्रताप की वजह से पूर्वे अपनी ही बनाई पार्टी से अब अलग-थलग हैं और उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती है।
 

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