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ऐस्‍टरॉइड को समझने की कोशिश में जुटी नासा 

ऐस्‍टरॉइड को समझने की कोशिश में जुटी नासा 

वॉशिंगटन । अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लगातार ऐस्‍टरॉइड को समझने की कोशिश कर रही है। इसके लिए 'साइकी मिशन' से लेकर 'डार्ट मिशन' लाइनअप हैं। एक स्पेसक्राफ्ट, जो एक ऐस्‍टरॉइड के साथ तेजी से टकराएगा और उस प्रभावित करेगा, अपनी लांचिंग के लिए तैयार है। ये किसी दुर्घटना नहीं बल्कि नासा के अगले मिशन की कहानी है। नासा के इस मिशन का नाम है डार्ट जिसमें स्पेसएक्स का फैल्कन 9 रॉकेट शामिल है। यह 23 नवंबर को स्थानीय समयानुसार रात 10:20 बजे कैलिफोर्निया के स्पेस फोर्स बेस से उड़ान भरेगा।
लांचिंग के बाद नासा सितंबर 2022 में इसकी जांच करेगी। अमेरिकी स्पेस एजेंसी यह देखेगी कि अंतरिक्ष में पृथ्वी के करीब किसी ऐस्टरॉइट की स्पीड पर इसका क्या असर पड़ता है। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य ड्रेमोपोस है, जो पृथ्वी के निकट स्थित डेडियोमोस ऐस्टरॉइड की परिक्रमा करने वाला एक छोटा-सा चंद्रमा है। पृथ्वी की रक्षा के लिए इस तरह की तकनीक का यह पहला प्रदर्शन होगा। पृथ्वी के करीब मौजूद चीजों के खतरा का पता लगाना नासा और दुनिया के दूसरे अंतरिक्ष संस्थानों की प्राथमिकता है। सितंबर 2022 में ऐस्टरॉइड और उसका चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब होंगे। उस वक्त पृथ्वी से इनकी दूरी तकरीबन 6,835,083 मील होगी और डार्ट मिशन की टेस्टिंग के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। नासा का कहना है कि डार्ट जानबूझकर डेडियोमोस से टकराएगा और स्पेस में ऐस्टरॉइड की गति को प्रभावित करेगा।
इस टक्कर को इटली की स्पेस एजेंसी के क्यूब सैटेलाइट से रिकॉर्ड किया जाएगा।डार्ट प्रोग्राम साइंटिस्ट ने कहा कि वैज्ञानिक धरती से टेलीस्कोप की मदद से ऐस्टरॉइट की गति में परिवर्तन को देख पाएंगे। उन्होंने कहा कि इसकी गणना हमें यह समझने में मदद करेगी कि हमारे विक्षेपण प्रयासों का ऐस्टरॉइड पर क्या असर पड़ता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एक स्पेसक्राफ्ट तैयार कर रही है जो ऐस्टरॉइड 16 पर जाएगा।
 

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