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कंपनी द्वारा दूसरे राज्य के कार्यालय को सेवा प्रदान करने पर लगेगा जीएसटी!

कंपनी द्वारा दूसरे राज्य के कार्यालय को सेवा प्रदान करने पर लगेगा जीएसटी!

एक कंपनी के एक राज्य में ऑफिस से अन्य राज्य में ऑफिस को दी जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी लगाने के को फैसले को लेकर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग हो रही है। सरकार यह स्पष्ट करने जा रही है कि एक राज्य में एक ऑफिस से अन्य राज्य में सेंटर को उपलब्ध कराई जाने वाली सर्विसेज पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लगेगा। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस बारे में जल्द ही जीएसटी काउंसिल की स्वीकृति वाला सर्कुलर जारी किया जाएगा। इससे पहले कर्नाटक अथॉरिटी फॉर एडवांस्ड रूलिंग्स ने कहा था कि ह्यूमन रिसोर्सेज और पेरोल जैसे इन-हाउस फंक्शंस अगर एक राज्य में एक सेंटर से अन्य राज्यों में ऑफिस के लिए किए जाते हैं तो उन पर जीएसटी लगेगा और उसके लिए इनवॉयस जारी करनी होगी। इंडस्ट्री ने एक कंपनी के एक राज्य में ऑफिस से अन्य राज्य में ऑफिस को दी जाने वाली सर्विसेज पर टैक्स को लेकर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। इसी वजह से यह सर्कुलर जारी किया जा रहा है। यह सर्कुलर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के रूप में है। इसमें यह बताया गया है कि हेड ऑफिस और ब्रांच ऑफिस के बीच कैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट को वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि सर्विस की वैल्यू एंप्लॉयी कॉस्ट और वह सर्विस देने की कंपनी की कॉस्ट के बराबर होगी। खर्चों को जीएसटी कानून में दिए गए वैल्यूएशन के सिद्धांतों और सामान्य एकाउंटिंग सिद्धांतों का इस्तेमाल कर दिखाना होगा।
हालांकि, इससे कंपनियों के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया बढ़ जाएगी और उनकी कॉस्ट में भी वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रॉस चार्ज के मुद्दे से भ्रम की स्थिति बन रही है। पीडब्ल्यूसी के नेशनल लीडर (इनडायरेक्ट टैक्सेज) प्रतीक जैन ने बताया, 'आउटपुट पर छूट मिलने या जीएसटी के तहत न होने को छोड़कर अधिकतर मामलों में यह रेवेन्यू न्यूट्रल होता है, जिसमें वसूला गया टीएसटी एक कॉस्ट बन जाता है।' उन्होंने कहा कि अगर किसी विशेष राज्य में इनपुट टैक्स ब्लॉक हो रहा है तो सरकार को इसे वैकल्पिक बनाना चाहिए। जैन ने कहा कि कर्मचारी का वेतन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि कर्मचारी एक कंपनी का होता है एक विशेष राज्य या ब्रांच का नहीं। जीएसटी सिस्टम के तहत इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि एक स्थान पर मौजूद एंप्लॉयीज की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली इस तरह की सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज को एक लोकेशन से अन्य लोकेशन को दी जाने वाली सर्विसेज माना जाएगा या नहीं और इस पर कंपनियों को क्रॉस चार्ज या जीएसटी देना होगा या नहीं। यह मामला अब कर्नाटक हाईकोर्ट में है और इस संबंध में सरकार को नोटिस जारी किया गया है। 

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