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 नासा पृथ्वी के बदलावों पर नजर रखने के लिए अगले साल लांच करेगा 4 अर्थ साइंस मिशन  

 नासा पृथ्वी के बदलावों पर नजर रखने के लिए अगले साल लांच करेगा 4 अर्थ साइंस मिशन  

वाशिंगटन । जब से राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाली मोक्रेटिक पार्टी की सरकार अमेरिका की सत्ता में आई है, तभी से जलवायु संबंधी शोधों पर जोर दिया जाने लगा है। उन्होंने सत्ता में आने से पहले ही घोषणा की थी कि यदि वे सत्ता में आए, तो अंतरिक्ष अभियानों पर पहले से ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसी क्रम में नासा अगले साल चार अर्थ साइंस मिशन लॉन्च करेगा। इन अभियानों का उद्देश्य मूल जलवायु तंत्रों और प्रक्रियाओं की जानकारी हासिल करना है। इनमें से चरम तूफान, सतह पानी एवं महासागर और वायुमंडलीय धूल का अध्ययन भी शामिल रहेगा। वैज्ञानिक इन अभियानों की चर्चा अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन 2021 की फॉल मीटिंग में हो रही है। गौरतलब है कि पहले से ही पृथ्वी पर अंतरिक्ष से निगरानी रखने के लिए नासा का कई सैटेलाइट वाला तंत्र काम कर रहा है। इसके जरिए पृथ्वी के पर्यावरण संबंधी उच्च गुणवत्ता वाले आंकड़े जमा किए जाते हैं। नासा का कहना है कि ये चार अभियान बदलती पृथ्वी पर निगरानी रखने की क्षमता में इजाफा करेंगे।
इन चार अभियानों में से ट्रोपिक्स अभियान में छह छोटे उपग्रह होंगे जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर बेहतर तरीके से और तेजी से मापन करने का काम करेंगे। वहीं ईएमआईटी अभियान, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर लगा इमेजिंग स्पैक्ट्रोमीटर के जरिए पृथ्वी पर खनिज धूल की उत्पत्ति और संरचना की जानकारी जुटाएगा। इस धूल का जलवायु, पारिस्थितिकी तंत्र, हवा की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अमेरिका के नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिन्स्ट्रेशन (एनओएए) का जेपीएसएस-2 वैज्ञानिकों की चरम मौसम का पूर्वानुमान लगाने सहायता करेगा जिसमें बाढ़, वनों की आग, ज्वालामुखी आदि का पूर्वानुमान शामिल होगा। इसके अलावा एसडब्ल्यूओटी अभियान दुनिया के महासागरों का अवलोकन कर उनकी जलवायु परिवर्तन में भूमिका का आंकलन करेगा। इसके साथ ही इसमें झीलों, नदियों और अन्य सतही पानी पर भी निगरानी रखी जाएगी। 
ट्रापिक्स यानि टाइम रिजोल्वड ऑबजर्वेशन ऑफ प्रेसिपिटेशन स्ट्रक्चर एंड स्ट्रॉम इंटेंसिटी विद अ कॉन्स्टेलेशन ऑफ स्मॉल सेट्स का उद्देश्य उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों की बेहतर निगारनी करना है। इसमें  छह उपग्रह साथ मिलकर तूफानों की बारिश, तापमान, और आर्द्रता का हर 50 मिनट में माइक्रोव अवलोकन करेंगे। वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि ये आंकड़े उन्हें उन कारकों को समझने में मदद करेंगे जो उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता प्रदान करते हैं और साथ ही मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले मॉडल्स के लिए भी सहायक सिद्ध होंगे।  ट्रापिक्स अभियान में छोटे उपग्रह जोड़ों से दो या तीन प्रक्षेपणों में अंतरिक्ष में 31 जुलाई 2022 तक स्थापित किए जाएंगे। वायुमंडल में पृथ्वी की सूखे इलाकों से हवा से खनिजों के कण दुनिया भर में फैलते रहते हैं। ये कण सूर्य से आने वाली किरणों की उर्जा को प्रभावित करते हैं। जिससे पृथ्वी की सतह और वायुमंडल का तापमान प्रभावित होता है। 
अर्थ सरफेस मिनिरल डस्ट सोर्स इंवेस्टीगेशन (एमिट) यह जानकारी जुटाएगा कि धूल कहां बनती हैं और इनकी सरंचनाएं कैसी होती है जिससे वैज्ञानिक इनके प्रभाव को समझ सकें। यह अभियान एक साल का होगा और इसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर लगाया जाएगा।
नोआ और नासा के संयुक्त अभियान के तहत ज्वाइंट पोलर सैटेलाइट सिस्टम वायुमंडल का तापमान और आर्द्रता के सटीक मापन की जानकारी के साथ महासागरों की सतह के तापमानों पर निगरानी रखेगा। जिससे अनेक मौसमी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया  जा सकेगा। वहीं सरफेस वाटर एंड ओशीन टोपोग्राफी (स्वॉट) पृथ्वी महासागरों, झीलों, नदियों सहित पूरे सतही पानी पर इनकी गतिविधियों और प्रक्रियाओं पर नजर रखेगा।
 

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