
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले नगर निगम शिमला के चुनाव होने हैं। नगर निगम चुनावों के समय बहुत कम रह गया है। हिमाचल में लाखों सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार का वोट चुनावों में एक अहम कड़ी है, भाजपा सत्ता पर काबिज है और लगभग हर मंच पर कर्मचारियों के पक्ष लिए गए फैसलों का बखान किया जाता है। कांग्रेस की नजर भी कर्मचारियों के वोट बैंक पर है। इसलिए अब वेतन विसंगती के मुद्दे पर भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश चौहान का कहना है कि जय राम सरकार कर्मचारियों की अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि बीते एक साल से छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने में भी प्रदेश सरकार पूरी तरह असफल रही है, कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहें है और मुख्यमंत्री एक तानाशाह के तौर पर उसे दबाने का असफल प्रयास कर रहें है, चौहान ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ बदले की भावना से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 10 कर्मचारी नेताओं के दूर-दराज के इलाकों में तबादले कर उन्हें प्रताड़ित करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। नरेश चौहान ने कर्मचारियों के तबादले का फैसला वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है जहां इतने बड़े स्तर पर कर्मचारियों का हर वर्ग आंदोलनरत है। साथ ही कहा कि कांग्रेस पार्टी कर्मचारियों के साथ खड़ी है। शिमला शहर में इन दिनों पीने के पानी की कमी चल रही है, शहर में बहुत स्थानों पर कई दिनों बाद पानी आ रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कहा कि अभी मार्च में पेयजल संकट हो गया है और जब अप्रैल मई में गर्मी का प्रकोप बढेगा तो क्या हाल होगा। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने शहर की सत्ता संभालने से पहले शिमला शहर को 24 घण्टे पेयजल उपलब्ध करवाने के दावा किया था, जो अब पूरी तरह झूठा साबित हो रहा है। नरेश चौहान के मुताबिक शिमला शहर के साथ लगते चम्याणा ,मल्याणा, भटाकुफर और कमला नगर में 4-5 दिनों के बाद पेयजल आपूर्ति की जा रही है,जबकि शहर में 3 दिन बाद पेयजल आपूर्ति की जा रही है। इस मुद्दे पर मंगलवार को कांग्रेस ने महापौर का घेराव भी किया।