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 कोल्‍ड ड्रिंक्‍स, सिगरेट और कारों पर लगने वाले सेस को जीएसटी में शामिल करने की तैयारी  2026 के बाद जीएसटी में शामिल किया जा सकता 

 कोल्‍ड ड्रिंक्‍स, सिगरेट और कारों पर लगने वाले सेस को जीएसटी में शामिल करने की तैयारी  2026 के बाद जीएसटी में शामिल किया जा सकता 

नई दिल्‍ली । कोल्‍ड ड्रिंक्‍स, सिगरेट और कारों पर लगने वाले सेस को मार्च, 2026 के बाद जीएसटी में शामिल किया जा सकता है। राज्‍यों के राजस्‍व को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार इस लागू करने पर विचार कर रही है। मोदी सरकार इस संबंध में राज्‍यों से विचार-विमर्श करके मूर्तरूप देना चाहती है। वहीं, राज्‍य सरकारों की मांग है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्‍यों को राजस्‍व के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा दिए जाने वाले मुआवजे को जारी रखा जाए। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के तहत इस कानून के कार्यान्वयन के पहले पांच वर्षों में राज्यों को राजस्व के किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की गारंटी दी गई है। जीएसटी व्यवस्था जुलाई 2017 में लागू हुई थी और जून, 2022 में जीएसटी को पांच साल हो जाएंगे।  इसके बाद राज्‍यों को जीएसटी मुआवजा नहीं मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस विलासिता, गैर-जरूरी और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाता है। पान मसाला, सिगरेट, कोल्‍ड ड्रिंक्‍स और कार जैसी वस्‍तुएं इस श्रेणी में आती हैं। अब सरकार ने इन पर लगने वाले उपकर को जीएसटी में शामिल करने का मन बनाया है। वहीं, मोदी सरकार के इस नए फार्मूले के बारे में जानकार का कहना है कि सेस को जीएसटी में शामिल करने में कई कानूनी अड़चनें हैं। अगर ऐसा किया गया, तब इस कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा। इस जीएसटी में शामिल करने का मतलब है, 28 फीसदी से ऊपर एक और स्‍लैब बनना होगा। उपकर को जीएसटी में शामिल करने का मतलब यह होगा कि राज्यों को केंद्र के जीएसटी संग्रह का 41 प्रतिशत प्राप्त तो होगा ही साथ ही उसे राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) के रूप में आय का आधा हिस्सा भी मिलेगा। वित्‍त वर्ष 2022-2023 में इस उपकर से 1.2 ट्रिलियन राशि जमा होने का अनुमान है। अगर सरकार के फार्मूले के हिसाब से इसमें से राज्‍यों को 84,000 करोड़ रुपये मिलने हैं, इसी राशि में भविष्‍य में और बढ़ोतरी होने की उम्‍मीद है। 
मामले से जुड़े सूत्र का कहना है कि केंद्र सरकार को राज्‍यों द्वारा जीएसटी मुआवजे की अवधि बढ़ाने की मांग व्‍यवहारिक नहीं लग रही है। सरकार पर इस जारी रखने की कोई कानूनी बाध्‍यता भी नहीं है।  सरकार का मानना है कि जीएसटी संग्रहण बढ़ने से राज्‍यों की आय में भी इजाफा हुआ है। इसकारण नुकसान की भरपाई का कोई मतलब नहीं रह गया है। अगरविलासिता और गैर-जरुरी वस्‍तुओं पर यदि ज्‍यादा टैक्‍स लगता है, तब इससे राज्‍य सरकारों को ज्‍यादा राजस्‍व प्राप्‍त होगा। अब जीएसटी रेवेन्‍यू रिकॉर्ड हाई पर है। केंद्र सरकार पांच साल राजस्‍व नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्‍तरदायी थी, और वह अपना दायित्‍व निभा भी रही है। 
 

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