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पिता का लीवर खराब, नाबालिग लड़की ने अपने लीवर का एक हिस्सा डोनेट करने कोर्ट से मांगी इजाजत 

पिता का लीवर खराब, नाबालिग लड़की ने अपने लीवर का एक हिस्सा डोनेट करने कोर्ट से मांगी इजाजत 

मुंबई । 16 साल की लड़की ने अपने पिता को लिवर दान करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की शरण ली है। उसके पिता का लिवर खराब हो चुका है। उसके पिता का लिवर ट्रांसप्लांट होना है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर लिवर नहीं मिला, तब वह 15 दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाएंगे। लड़की ने कानून का हवाला देकर अपने लिवर का एक हिस्सा डोनेट करने के लिए कोर्ट की इजाजत मांगी है। लड़की की याचिका पर हाईकोर्ट ने संबंधित अथॉरिटी से एक दिन के अंदर जवाब मांगा है। 
दरअसल, कानून इसकी इजाजत नहीं देता कि कोई नाबालिग अपने किसी रिश्तेदार को सीधे ही अपना अंगदान कर सके। मानव अंग दान एवं प्रत्योरोपण अधिनियम में साफ लिखा है कि कोई ‘करीबी रिश्तेदार’ ही किसी को अंग दान कर सकता है। इसके लिए किसी अथॉरिटी से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अधिनियम की धारा 1(1बी) में नाबालिगों के लिए अपवाद बनाया गया है। कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के मामले में सक्षम प्राधिकारी और राज्य सरकार की पहले से इजाजत के बाद ही अंगदान पर विचार किया जा सकता है। कानून में ये नियम है, लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या होगी, ये स्पष्ट नहीं है। 
इसके बाद मुंबई के शख्स की बेटी का लिवर दान करने के लिए उसकी मां की तरफ से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट में लड़की के वकील तपन थाटे ने बताया कि उसके पिता लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। मार्च में डॉक्टरों ने उनका लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी थी। उनके जितने भी करीबी रिश्तेदार हैं, जो अंगदान कर सकते हैं, उनकी जांच की जा चुकी है, लेकिन कोई भी लिवर डोनेट करने के लिए मेडिकल फिट नहीं पाया गया है। सिर्फ उनकी बेटी ही है, जिसका लिवर पिता को ट्रांसप्लांट होने लायक मिला है। 
वकील ने हाईकोर्ट में याचिका पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाकर कहा कि डॉक्टरों के मुताबिक लड़की के पिता के पास याचिका दाखिल करने से लगभग 15 दिन का ही समय बचा है और सक्षम प्राधिकारी की इजाजत के बिना लड़की अंगदान नहीं कर सकती क्योंकि उसकी उम्र इस वक्त 16 साल 2 महीने है। उन्होंने बताया कि सरकारी अथॉरिटी के यहां इजाजत मांगने के लिए 25 अप्रैल को आवेदन दिया गया था, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद 30 अप्रैल को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय की तरफ से सरकारी वकील पीपी काकडे ने कहा कि अगर लड़की तरफ से आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाएं, तब उसके आवेदन पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद जस्टिस रेवती मोहिते डेरे की बेंच ने कहा कि चूंकि पिता की हालत गंभीर है, इसके बाद में आह आग्रह करते हैं कि नाबालिग बेटी के अंगदान की अर्जी पर 4 मई तक फैसला कर लिया जाए। 
 

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