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तनाव भी सर्वाइकल कैंसर का एक कारण बन सकता

तनाव भी सर्वाइकल कैंसर का एक कारण बन सकता

तनाव भी सर्वाइकल कैंसर का एक कारण बन सकता है। हाल ही में आई एक स्टडी में ऐसा दावा किया गया है। स्टडी के अनुसार, जो महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हैं और स्ट्रेस संबंधी डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं, उनमें इस कैंसर से मौत के चांस अधिक बढ़ जाते हैं। स्टडी के मुख्य लेखक के अनुसार,कैंसर का इलाज करा रहे मरीजों में डिप्रेशन, चिंता और स्ट्रेस जैसे डिसऑर्डर से ग्रस्त होने का खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने 1 जनवरी, 2002 से 31दिसंबर,2011 के बीच सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित 4,245 रोगियों के रिकॉर्ड इकट्ठा किए और उनकी जांच की। इसके अलावा उन मरीजों की भी जांच की,जो अपनी जिंदगी में किसी ने किसी तनाव भरी स्थिति से गुजर चुके थे। मसलन किसी परिजन की मृत्यु या गंभीर बीमारी, तलाक या फिर नौकरियों के बीच भाग-दौड़। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तरह के मामलों से मरीजों पर भावुक प्रेशर अत्यधिक बढ़ जाता है। उन्होंने ऐसी महिलाओं की भी पहचान की जिनकी या तो सर्वाइकल कैंसर या फिर अन्स्पेसिफाइड यूटराइन कैंसर की वजह से मौत हो गयी।
शोध के दौरान 1,392 मरीजों की मौत हो गई,जिनमें से 1,005 लोगों में मौत का मुख्य कारण सर्वाइकल कैंसर पाया गया।शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि 1,797 मरीजों को या तो स्ट्रेस संबंधी डिसऑर्डर था या फिर वे स्ट्रेस वाली स्थिति से गुजरे थे। स्ट्रेस संबंधी डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा 33 प्रतिशत अधिक था। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 74 हजार महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर से हो जाती है। यह एक ऐसी बीमारी है जो गर्भाशय में सेल्स (कोशिकाओं) की अनियमित वृद्धि की वजह से होता है। यह एचपीवी वायरस यानी ह्यूमन पेपीलोमा वायरस की वजह से होता है।
इसमें योनी से असामान्य रक्तस्राव, सेक्स या फिर टेंपोन इंसर्ट करने के दौरान रक्तस्राव होता है। इसके अलावा यौन संबंध बनाने के दौरान दर्द महसूस होना, योनी से रक्तमिश्रित अनियिमित डिस्चार्ज, कमर, पैर में दर्द महसूस होना, थकान, वजन में कमी, भूख न लगना इसके अन्य लक्षण हैं। अगर सही समय पर सर्वाइकल कैंसर के बारे में पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है। इसकारण महिलाओं को समय-समय पर अपनी जांच करवानी चाहिए। एक स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं बहुत ज्यादा या लंबे समय तक बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल करती हैं उन्हें इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है। इससे बचने के लिए पिल्स की जगह कॉन्डम का इस्तेमाल करें। 

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