
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा कि निजी कंपनियों को सरकार से वित्तीय पैकेज की उम्मीद लगाने की जगह, कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच खड़े होना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए दौर में भारतीय कंपनियों को अपनी कार्यशैली और सोच बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कंपनियों को सरकार के समर्थन की जरूरत शुरुआत में हो सकती है, उस समय नहीं, जब वे आगे बढ़ रही हों। उन्होंने कहा हमें तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है। हम एक मार्केट इकोनॉमी हैं। जहां जब कोई संपत्ति को सही से नहीं संभालता तो इसका दोबारा आवंटन कर दिया जाता है। सुब्रमणियन ने यह बातें जना स्मॉल फाइनेंस बैंक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा आर्थिक गिरावट को 'अभूतपूर्व स्थिति' करार देते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा पिछले 70 सालों में (हमने) तरलता (लिक्विडिटी) को लेकर इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया, जब समूचा वित्तीय क्षेत्र (फाइनेंशियल सेक्टर) आंदोलित है। नीति आयोग उपाध्यक्ष ने कहा सरकार को 'हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे प्राइवेट सेक्टर की चिंताओं में से कुछ को तो दूर किया जा सके।
देश के शीर्ष अर्थशास्त्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल के दौरान वृद्धि की सबसे खराब गति को निहार रही है। राजीव कुमार ने कहा सरकार बिल्कुल समझती है कि समस्या वित्तीय क्षेत्र में है। तरलता (लिक्विडिटी) इस वक्त दिवालियापन में तब्दील हो रही है। इसलिए आपको इसे रोकना ही होगा।