
सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के खस्ता वित्तीय हालत दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हैं जिसके चलते मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कंपनी पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है, पैसे नहीं होने की वजह से संचालन में भी दिक्कतें आने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयर इंडिया पर ईंधन भरवाने का बकाया ही करीब करोड़ों रुपए का है। 22 अगस्त को 6 एयरपोर्ट पर तेल कंपनियों ने एयर इंडिया को ईंधन देने से मना कर दिया। एयरलाइन के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं। पिछले दिनों सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश दिया था।
सरकार एयर इंडिया के लिए बोली लगाने वालों को ढूंढ रही है। निजीकरण की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया गया है। जानकारी के मुताबिक, अगले हफ्ते जीओएम की बैठक होने वाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उससे पहले एयर इंडिया के अधिकारियों की एक आंतरिक बैठक होगी। मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार एयर इंडिया में 100 फीसदी शेयर बेचने की तैयारी में है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक एयरलाइन पर 58 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है, जबकि पूरा नुकसान करीब 70 हजार करोड़ रुपए का है। एयरलाइन को हर महीने 300 करोड़ तो केवल कर्मचारियों की सैलरी के लिए चाहिए। एयरलाइन के पास अक्टूबर के बाद कर्मचारियों को देने के लिए पैसे भी नहीं बचे हैं। ऐसे में जीओएम (जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल है) जल्द एयरलाइन के तकदीर का फैसला करेंगे।