
कॉटन यार्न के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार की ओर से इंसेंटिव दिया जा सकता है। मौजूदा वित्तीय साल के पहले क्वॉर्टर में कॉटन यार्न का एक्सपोर्ट 35 प्रतिशत घटा है। सरकार ने विशेषतौर पर यार्न और फैब्रिक सेक्टर से संबंधित एक नई एक्सपोर्ट इंसेंटिव स्कीम पर विचार के लिए इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी बनाई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्र और राज्य के करों पर छूट की स्कीम और टेक्सटाइल इंडस्ट्री की इस स्कीम का फायदा टेक्सटाइल की पूरी वैल्यू चेन को देने की मांग की समीक्षा की थी। यह स्कीम मार्च से अपैरल और मेड-अप्स सेक्टर के लिए उपलब्ध है। जुलाई में कॉटन यार्न और फैब्रिक का एक्सपोर्ट क्रमश: 9.98 प्रतिशत और 10.54 प्रतिशत घटा है। अमेरिका ने पिछले वर्ष वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम को चुनौती दी थी। इस वजह से कॉमर्स डिपार्टमेंट ने एमईआईएस के स्थान पर सभी एक्सपोर्ट के लिए चरणबद्ध तरीके से आरओएससीटीएल को लागू करने के लिए एक कैबिनेट नोट पेश किया है। आरओएससीटीएल में एक्सपोर्ट इनपुट पर ड्यूटीज और इनडायरेक्ट टैक्सेज के बदले ट्रांसफर हो सकने वाली स्क्रिप ली जा सकती हैं। स्क्रिप इंसेंटिव होती हैं जिनका इस्तेमाल ड्यूटीज चुकाने के लिए हो सकता है। इंडस्ट्री से जुड़े एक प्रतिनिधि ने बताया, 'टेक्सटाइल्स में कॉटन और विस्कोस यार्न पर अधिक असर पड़ा है। कॉटन यार्न के एक्सपोर्ट पर 5-6 प्रतिशत ऐसे टैक्स लगते हैं जिनका एक्सपोर्टर्स को रिफंड नहीं मिलता।' हालांकि, फाइनेंस और कॉमर्स मिनिस्ट्रीज के बीच एमईआईएस को हटाने और नई स्कीम को लागू करने को लेकर सहमति नहीं है। नई स्कीम ग्लोबल ट्रेड नॉर्म्स का पालन करती है।