
भारतीय अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनी जेट एयरवेज को चलाने के लिए अगर कोई खरीदार नहीं मिलता है तो कंपनी का हाल किंगफिशर की तरह हो सकता है। दिवालिया हो चुकी कंपनी को अगर अलग-अलग हिस्से में बेचा जाता है तो बकाया राशि का 10 फीसदी से भी कम रकम मिल पाएगी। जानकारी के मुताबिक एयरलाइन के फाइनेंशियल और ऑपरेशनल लेनदारों, जिनके पास तकरीबन 300 अरब रुपए बकाया है। जबकि जेट की बिक्री से केवल 30-40 करोड़ डॉलर ही मिलने की संभावना है। मौजूदा समय में जेट के पास 4-6 बोइंग विमान और एयरबस हैं। इसके साथ ही देश में उसकी कुछ रियल एस्टेट प्रॉपर्टी भी है। हालांकि इन पर भी अभी कुछ बकाया राशि देनी है। एयरलाइन साल भर में कम से 120 से अधिक विमानों का फ्लीट ऑपरेट कर रही थी। इन विमानों ने सिंगापुर, दुबई, लंदन जैसे इंटरनेशन हबों और दर्जनों डोमेस्टिक उड़ानें भरी। नकदी के संकट के चलते अप्रैल में जेट की उड़ान बंद हो गई थी। साथ ही कई लोगों को नौकरी भी चली गई। आरबीआई ने जेट एयरवेज की उड़ान की पहल भी की, लेकिन अभी तक इसके रिवाइवल पर सफलता नहीं मिली है। कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए लोगों ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।