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ऊबर-ओला को तय किराए से तीन गुना अधिक किराया लेने की मिल सकती है अनुमति

ऊबर-ओला को तय किराए से तीन गुना अधिक किराया लेने की मिल सकती है अनुमति

ऊबर-ओला को तय किराए से तीन गुना अधिक किराया लेने की मिल सकती है अनुमति 
बेंगलुरु। ऐप आधारित टैक्सी सेवा ऊबर-ओला को केंद्र सरकार अधिक मांग वाली अवधि में कैब ऐग्रिगेटर्स को ग्राहकों से तय किराया से तीन गुना अधिक भाड़ा लेने की इजाजत दे सकती है। इस इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। उसकी चर्चा से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। कैब कंपनियां अपने प्लैटफॉर्म पर डिमांड-सप्लाई को मैनेज करने के लिए लंबे समय से सर्ज प्राइसिंग के हक में तर्क देती आई हैं। नए नियमों में यह बताया जा सकता है कि वे ग्राहकों से सर्ज प्राइसिंग के तहत कितना भाड़ा ले सकती हैं। इसमें कंपनियों के लिए दूसरे दिशा-निर्देश भी हो सकते हैं, जिन्हें दिसंबर 2016 में प्रस्तावित किया गया था। जानकारी के अनुसार ‘कैब ऐग्रिगेटर्स के लिए डिमांड-सप्लाई की सिचुएशन से सर्ज प्राइसिंग भी जुड़ी है।’ उन्होंने कहा, ‘दिसंबर 2016 के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, हमारी पॉलिसी में सर्ज प्राइसिंग पर तस्वीर साफ की जाएगी और इसमें इसकी अधिकतम सीमा भी होगी।’ मोटर वीइकल (अमेंडमेंट) बिल, 2019 के पास होने के बाद कैब ऐग्रिगेटर्स के लिए इन नियमों का प्रस्ताव लाया जा रहा है। इस विधेयक में पहली बार कैब ऐग्रिगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी यानी मार्केटप्लेस माना गया। इससे पहले इन कंपनियों को अलग एंटिटी नहीं माना जाता था। इस वजह से ऊबर और ओला ‘ग्रे जोन’ में काम कर रही थीं। प्रस्तावित दिशा-निर्देशों को लेकर पूछे गए सवालों का दोनों ही कंपनियों ने जवाब नहीं दिया। नए नियम वैसे तो पूरे देश में लागू होंगे, लेकिन राज्यों के पास इनमें बदलाव करने का भी अधिकार होगा। अधिकारी ने बताया, ‘...लेकिन राज्यों को उसका आधार बताना होगा।’ देश में कैब ऐग्रिगेटर्स को रेगुलेट करने वाला पहला राज्य कर्नाटक है। मिसाल के लिए, उसने ऐप से कैब सर्विस देने वाली कंपनियों के लिए पहले ही न्यूनतम और अधिकतम किराया तय किया हुआ है। उसने गाड़ी की कीमत के आधार पर इसके स्लैब तय किए हैं। 
 

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