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आतंक को राजकीय नीति बनाने वाले देशों को अलग-थलग करे विश्व समुदाय : राजनाथ

आतंक को राजकीय नीति बनाने वाले देशों को अलग-थलग करे विश्व समुदाय : राजनाथ

आतंक को राजकीय नीति बनाने वाले देशों को अलग-थलग करे विश्व समुदाय : राजनाथ
नई दिल्ली । रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को वैश्विक समस्या बताते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए आतंकवाद को राजकीय नीति के तौर पर अपनाने वाले देशों को अलग-थलग करने का आह्वान किया। सिंह ने कहा भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में रक्षा सहयोग महत्वपूर्ण है। राजनाथ सिंह ने यह बात ताशकंद में पहली बार आयोजित होने वाले भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त अभ्यास डस्टलिक 2019 के ‘कर्टन रेजर’ में कही। यह अभ्यास चार से 13 नवंबर तक चलेगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस अभ्यास में भारतीय सेना की एक टुकड़ी उज्बेकिस्तानी सेना के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करेगी। इस अभ्यास से दोनों बलों के बीच सर्वश्रेष्ठ अभ्यास एवं अनुभव साझा होंगे।
सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां कुछ देशों ने आतंकवाद को अपनी राजकीय नीति के रूप में अपनाया है। ऐसे देशों की निंदा करना और उन्हें अलग थलग करना समय की जरूरत है। उरी आतंकवादी हमले के बाद भारत पाकिस्तान को सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास कर रहा है। सिंह ने शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की 18 वीं बैठक को संबोधित करते हुए सदस्य देशों से आतंकवाद और उसके समर्थकों से निपटने के लिए सभी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानूनों और तंत्रों को मजबूत करने और उन्हें बिना किसी अपवाद या दोहरे मापदंड के लागू करने का आह्वान किया था।
पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है। सिंह ने अपने उज़्बेकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल बखोदिर निजामोविच कुरबानोव से मुलाकात कर रक्षा संबंध बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की थी। दोनों देशों के बीच तीन सहमतिपत्रों पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें एक सैन्य सहयोग पर था। सिंह ने  डस्टलिक 2019  को भारत और उज्बेकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का एक उदाहरण बताते हुए विश्वास जताया कि दोनों देशों के सैनिक जरूरत के समय कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे। उन्होंने उजबेकिस्तान सरकार को आश्वासन दिया कि भारतीय सशस्त्र बल अपने उज़्बेकिस्तानी समकक्षों को आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने सैन्य चिकित्सा में उज्बेकिस्तान को भारत द्वारा पूरे समर्थन का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक के बाद सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर इस दिशा में एक कदम है। 

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