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आज सबसे अधिक मंदी है और बेरोजगारी की दर 72 साल में सबसे अधिक - शत्रुघ्न सिन्हा

आज सबसे अधिक मंदी है और बेरोजगारी की दर 72 साल में सबसे अधिक - शत्रुघ्न सिन्हा

आज सबसे अधिक मंदी है और बेरोजगारी की दर 72 साल में सबसे अधिक - शत्रुघ्न सिन्हा
नई दिल्ली । कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि आर्थिक मंदी के इस दौर में देश में चौतरफा अफरातफरी फैली हुई हैं। उन्होंने कहा कि 45 साल के इतिहास में आज सबसे अधिक मंदी है और बेरोजगारी की दर बहुत तेजी से न केवल बढ़ रही है बल्कि 72 साल में सबसे अधिक है। 
सिन्हा ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चौपड़ा एवं अन्य नेताओं की  उपस्थिति में एक प्रेस वार्ता में कहा कि मोदी सरकार ने देश में सरकारी लूट मचा रखी है, जिसका चौतरफा विरोध हो रहा है। उन्हांने यह भी कहा कि देश की जनता इसे और अधिक सहन नही करेगी। सिन्हा ने कहा कि मैंने सरकार में रहते हुए लगातार इन मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज करवाया, जिसकी कीमत मुझे चुकानी पड़ी।
सिन्हा ने कहा कि पिछले 6 सालों मे जीडीपी सबसे निचले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यदि आंकडों की बाजीगरी छोड़ दे तो और वास्तविकता देखे तो तो वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी 5 प्रतिशत के निचले स्तर पर रही। आईएमएफ, फिच, वर्ल्ड बैंक, मूडी एवं आरबीआई सहित सभी एजेंसियों ने भारत में जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान में भारी कटौती कर दी है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पायदान से नीचे खिसक कर अब देश सातवें पायदान पर चला गया है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मोदी सरकार के समय में औद्योगिक वृद्धि अगस्त 2019 में सिकुड़कर मात्र 1.1 प्रतिशत रह गई है, जो 7 साल में सबसे कम है। मैनुफैक्चरिंग वृद्धि की दर भी गिरकर -1.2 प्रतिशत (नैगेटिव) के निचले स्तर पर आ गई है, जो अक्टूबर, 2014 के बाद सबसे कम है। कोर सेक्टर में वृद्धि पिछले चार सालों में सबसे कम है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि अप्रैल 2012 के बाद कैपिटल गुड्स की वृद्धि -21 प्रतिशत (नैगेटिव) सबसे कम दर्ज की गई है, यानि । बिजली के सेक्टर में वृद्धि -0.9 प्रतिशत (नैगेटिव) है, जो फरवरी 2013 के बाद सबसे कम है।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि बैंकों का एनपीए 8,00,000 करोड़ रु. हो गया है, क्योंकि भाजपा सरकार के पाँच सालों के कार्यकाल में बैंकों से धोखाधड़ी के लगभग 25,000 मामले सामने आए, जिनमें बैंकों को 1,74,255 करोड़ रु. का चूना लगा। उन्होंने कहा कि बैकों के साथ धोखा देने वाले अपराधियों को दंड देने की बजाए भाजपा सरकार उनका बचाव कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने देश के नागरिकों का ‘पैसा लूटो और भाग जाओ’ का नया नियम बना लिया है।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि गंभीर वित्तीय संकट का सबसे बड़ा प्रमाण है कि साल 2019-20 में केंद्र सरकार के ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू में 2,00,000 करोड़ रु. की गिरावट अनुमानित है। 2018-19 में भी ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू में 1,90,000 करोड़ रु. की गिरावट हुई। उन्होंने कहा कि जीएसटी कलेक्शन का मासिक आंकड़ा 1,00,000 करोड़ रु. तक भी नहीं पहुंच पा रहा। उन्होंने कहा इससे स्पष्ट होता है कि देश  का साल 2019-20 में वित्तीय घाटा 4 प्रतिशत रहने वाला है। यदि 10,00,000 करोड़ रु. के अनपेड बिल्स को भी गणना में ले लिया जाए, तो यह वित्तीय घाटा 8 प्रतिशत को पार कर जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक अराजकता की स्थिति बन गई है। क्योंकि भाजपा सरकार अब आरबीआई इमरजेंसी रिज़र्व को खाली करने से भी नहीं चूक रही, जिसे युद्ध या गंभीर वित्तीय संकटों,  देश की रक्षा करने के लिए सुरक्षित रखा जाता है। अगस्त 2019 में आरबीआई ने भाजपा सरकार को 1,76,000 करोड़ रु. दिए। इससे पहले 2014-15, 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में भी आरबीआई द्वारा प्रतिवर्ष 2,13,000 करोड़ रु. भाजपा सरकार को दिए गए। इस प्रकार भाजपा शासन के पाँच सालों में अब तक कुल 3,89,000 करोड़ रु. आरबीआई द्वारा भाजपा सरकार को भुगतान किया जा चुका है।

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