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दैवी आपदा से राहत के लिए फसल क्षति का मानक 33 से 20 फीसदी करे केंद्र : योगी

दैवी आपदा से राहत के लिए फसल क्षति का मानक 33 से 20 फीसदी करे केंद्र : योगी

दैवी आपदा से राहत के लिए फसल क्षति का मानक 33 से 20 फीसदी करे केंद्र : योगी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ केंद्रीय दल ने बैठक की। इस दौरान उत्तर प्रदेश में आई बाढ़ और अत्यधिक बारिश से हुए नुकसान के आकलन के लिए बातचीत हुई। केंद्रीय दल को बताया गया कि पुनर्स्थापना कार्यों के लिए मानक इस तरह तय किए गए हैं जिनकी वजह से पिछले वर्षों में राज्य को केंद्र से कम धनराशि मिल सकी। राज्य सरकार ने केंद्र से मांग की है कि दैवी आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान के कारण किसानों को राहत देने वाली मानक राशि को 33 प्रतिशत से 20 प्रतिशत किया जाना चाहिए। राज्य सरकार का कहना है कि फसल बीमा योजनाओं के तहत अगर फसलों को 20 प्रतिशत भी क्षति पहुंचे तो वह किसान बीमा के हकदार हो जाते हैं। राज्य सरकार ने दैवी आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र को 842,53 करोड़ रुपए का मेमोरंडम। साथ ही मांगी गई धनराशि को शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया। 
यूपी सरकार ने कहा आपदाओं से राहत देने के लिए राज्य आपदा मोचक निधि से केवल 10 प्रतिशत राशि का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा इसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए। सरकार की ओर से केंद्रीय दल को बताया गया कि 1 मई से लेकर 10 अक्टूबर, 2019 तक प्रदेश में विभिन्न आपदाओं में 1288 लोगों ने जान गंवाई। इनमें से 860 जनहानियां, सर्पदंश, बिजली गिरने और अत्यधिक बारिश से मकान ढहने के कारण हुई है। केंद्र सरकार से यह भी मांग की गई है कि बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए विभिन्न दैवी आपदा से होने वाले नुकसान की मरम्मत के लिए 4 महीने का समय दिया जाए। वर्ष 2017 में बाढ़ और बरसात से टूटी सड़कों के लिए 192 करोड़ रुपए मांगे गए, लेकिन सिर्फ 23 करोड़ रुपए मिले। वहीं सिंचाई के ढांचों की पुनर्स्थापना के लिए 262 करोड़ रुपए की मांग के सापेक्ष 75 करोड़ रुपए मिले। वर्ष 2018 में सड़कों, सेतुओं और सिंचाई के ढांचों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 303 करोड़ रुपये की मांग की गई, लेकिन केंद्र से सिर्फ 15 करोड़ रुपये मिले। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय दल से बातचीत करते हुए कहा कि हम सबको मिलकर काम करना और आपसी मतभेद से बचना है। यूपी में पिछले ढाई साल से बेहतर काम किया गया है। आज हम सीधे किसानों से उसकी उपज को खरीदकर बिना किसी मिडिएटर के भुगतान करते हैं। हर साल किसानों से हम पहले की तुलना में अधिक मात्रा में उपज खरीदते हैं। इसका मतलब किसान की संख्या उत्तर प्रदेश में बढ़ रही है। उसके बाद हमने किसानों के ऋण माफी के भी कार्यक्रम किए थे, जिसमें कोऑपरेटिव बैंकों ने साथ दिया था।

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