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किसानों की जमीन बेचने पर दो अधिकारियों को सजा

किसानों की जमीन बेचने पर दो अधिकारियों को सजा

किसानों की जमीन बेचने पर दो अधिकारियों को सजा
गिरवी रखी थी जमीन, औने-पौने दाम में कर दी थी नीलाम
 बैंक में गिरवी रखी किसानों की बेशकीमती जमीन रसूखदारों को औनेपौने दामों में बेचने को लेकर सहकारिता विभाग के दो अधिकारियों को 5-5साल की सजा सुनाई है। यह जमीन में भोपाल के आसपास एक दर्जन से ज्यादा गांवों में किसानों की थी।  किसानों की यह बेशकीमती 983 एकड़ जमीन मात्र पौने दो करोड़ रुपए में नीलाम कर दी थी। गौरतलब है कि 2008 में भोपाल जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष विजय तिवारी ने भारी दबाव के बावजूद लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी। विशेष स्थापना पुलिस ने 127 एफआईआर दर्ज की। 24 मामले बनाकर शासन से अभियोजन की अनुमति मांगी। तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर की नाराजगी के बाद सरकार ने अनुमति दी और फिर अदालत में चालान पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक किसानों की जमीन औने-पौने दाम में नीलाम करने के मामले में प्रभावित किसान लंबे समय से न्याय की गुहार लगा रहे थे, लेकिन रसूखदारों के कारण सुनवाई नहीं हो रही थी। काफी दबाव के बाद सहकारिता विभाग ने अगस्त 2007 में संयुक्त पंजीयक श्रीकुमार जोशी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट में अफसरों की लापरवाही बताई थी। 
    उधर वर्ष 2008 में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भोपाल के तत्कालीन अध्यक्ष विजय तिवारी ने मामले की शिकायत लोकायुक्त संगठन में कर दी। काफी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला तो फरवरी 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात की और एलान किया कि किसी भी किसान की जमीन नीलाम नहीं होगी। खरीदारों के पक्ष में जमीन का नामांतरण पर नहीं होगा और किसानों को सरकार कानूनी सहायता भी मुहैया कराएगी। सरकार के किसानों के पक्ष में रुख को देखने के बाद लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई में तेजी आई और सहकारिता विभाग के अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि, उन्हें हाई कोर्ट से स्थगन मिल गया। विजय तिवारी ने बताया कि बैंक और विभाग के अधिकारियों ने ईंटखेड़ी, दामखेड़ा, गोलखेड़ी, कौडिया, चंनेरी, मुगालिया छाप, बैरागढ़ चीचली, परवलिया, अरवलिया, जाटखेड़ी, रातीबड़ सहित अन्य गांवों के किसानों की जमीन गुपचुप नीलाम कर दी थी। नीलामी के खिलाफ कुछ किसान हाई कोर्ट गए और 20-21 के हक में फैसला भी हुआ। अंगूरी बानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त और शासन से कार्रवाई के बारे में स्टेटस भी मांगा था। फैसले से उन किसानों को राहत मिली है जो अभी भी जमीन मिलने की आस लगाए हैं।
 

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