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टैक्स रेट से लेकर स्लैब तक जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी, लग सकता है झटका

  टैक्स रेट से लेकर स्लैब तक जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी, लग सकता है झटका

  टैक्स रेट से लेकर स्लैब तक जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी, लग सकता है झटका
 वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुए ढाई वर्ष के करीब होने जा रहे हैं। इस बीच जीएसटी काउंसिल ने टैक्स ढांचे से लेकर, टैक्स रेट तक कई बदलाव किए जा चुके है। कहा जा रहा है कि यह 5 प्रतिशत के मौजूदा बेस टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 9 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक करने पर विचार कर सकती है। टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने में जुटी जीएसटी काउंसिल मौजूदा 12 प्रतिशत का टैक्स स्लैब खत्म कर इसके दायरे में आने वाले सभी 243 प्रॉडक्ट्स को 18 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में शामिल कर सकती है। अगर ऐसा होती हैं तब ग्राहकों की जेब पर असर होगा, लेकिन सरकार के खजाने में  1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा आना शुरु हो जाएगा। अनुमान है कि टैक्स दरों में प्रस्तावित बदलाव के अलावा अब उन वस्तुओं पर भी टैक्स लगाया जा सकता है, जो अभी टैक्स फ्री हैं। अभी 'महंगे' निजी अस्पतालों में इलाज से लेकर होटलों में प्रति रात 1 हजार रुपये तक के किराए वाले कमरों में रहने पर बिल के भुगतान के वक्त टैक्स नहीं देना पड़ता है। शीर्ष सूत्रों की मानें तो ये सभी कर मुक्त वस्तुएं एवं सेवाएं जीएसटी के दायरे में आ सकती हैं। कहा जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल के पास कार जैसे उत्पादों पर लेवी बढ़ाने की गुंजाइश नहीं के बराबर है।
1 जुलाई,2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से सैकड़ों वस्तुओं पर टैक्स रेट में कटौती हुई। जिससे प्रभावी टैक्स रेट 14.4 प्रतिशत  से घटकर 11.6 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। इसके कारण टैक्स से प्राप्त रकम में सालाना करीब दो लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। अगर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के मुताबिक, 15.3 प्रतिशत की रेवेन्यू न्यूट्रल टैक्स रेट पर विचार किया जाए तो यह घाटा बढ़कर 2.5 लाख करोड़ हो जाता है।
देश में गहरा रही आर्थिक सुस्ती ने टैक्स रेवेन्यू में गिरावट की समस्या बढ़ा दी है। चूंकि केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने के पहले चार वर्षों तक राज्यों के कर संग्रह में 14 प्रतिशत से कम वृद्धि होने की सूरत में अपने खाते से देने का वादा किया है, इसकारण कम कर संग्रह के कारण अब उस हर महीने करीब 13,750 करोड़ राज्यों को बतौर मुआवजा देना पड़ रहा है। एक आधिकारिक आकलन के मुताबिक, अगले वर्ष तक यह रकम बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि दरों में परिवर्तन से कीमतें बढ़ेंगी। इसकारण पिछले कुछ वर्षों से महंगाई पर लगी लगाम ढीली पड़ सकती है। इसकारण कहा जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल संभवतःटैक्स फ्री वस्तुओं के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी, बल्कि न्यूनतम टैक्स स्लैब बदलकर ही ज्यादा-से-ज्यादा भरपाई करने की कोशिश होगी। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि केंद्र सरकार अगले हफ्ते जीएसटी में प्रस्तावित बदलाव पर महामंथन करेगी। 

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