
पटरी पर लौटी अर्थव्यवस्था, मार्च तक 21 लाख करोड़ पहुंचा मुद्रा का प्रवाह
करीब तीन साल पहले 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन के खिलाफ नोटबंदी का फैसला करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोट प्रतिबंधित कर दिए थे। नोटबंदी के बाद डिजिटल इकॉनमी को मजबूत करने की पहल की गई। देश की अर्थव्यवस्था अब पटरी की तरफ लौटती दिखाई दे रही है। इसका नतीजा यह निकला कि 2016-17 में अर्थव्यवस्था में मुद्रा का प्रवाह घटकर 13 लाख करोड़ पर पहुंच गया, लेकिन तीन साल के भीतर मार्च 2019 तक मुद्रा प्रवाह एकबार फिर 21 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में लिखित में यह जवाब दिया। सदन को दी गई जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद मार्च 2017 में मुद्रा प्रवाह 13 लाख करोड़ था, मार्च 2018 में यह आंकड़ा पहुंच कर 18 लाख करोड़ हो गया जबकि मार्च 2019 में यह 21 लाख करोड़ की सीमा पार कर गया।
नोटबंदी से ठीक पहले मार्च 2016 में इकॉनमी में करंसी सर्कुलेशन करीब 16.41 लाख करोड़ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के समय कहा था उन्होंने नोटबंदी का फैसला आतंकवाद को फंडिंग रोकने, भ्रष्टाचार कम करने और ब्लैकमनी पर लगाम करने के लिए किया।