
तेज गेंदबाज बुमराह ने अपने मन से कुछ नहीं किया, जो कहा गया, वही करते गए
भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह सितंबर में चोटिल होने के कारण टीम से बाहर हैं। इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि बुमराह ने केवल वही किया है, जिसके उन्हें 'निर्देश' दिए गए। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बुमराह एनसीए में फिटनेस परीक्षण कराने के इच्छुक नहीं थे और न ही राहुल द्रविड़ ऐसा चाहते थे।
26 वर्षीय बुमराह आखिरी बार सितंबर में टेस्ट मैच खेले थे, जिसमें उन्होंने 7 विकेट झटके थे। उन्होंने ब्रेक लिया और वह इंग्लैंड में विशेषज्ञों से सलाह लेने चले गए। वह अक्टूबर में घर लौटे और रिहैबिलिटेशन दौर से गुजरे जिसमें रिकवरी, कंडीशनिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और नेट्स में बोलिंग करना शामिल रहा। इस गेंदबाज के लिए यही रोडमैप तैयार किया गया था।
सूत्रों ने बताया किसी भी मौके पर बुमराह ने अपने मन से कुछ नहीं किया। उन्हें विशाखापत्तनम में रिपोर्ट करने को कहा गया, तब उन्होंने नेट्स में बोलिंग की। उन्हें फिर विशाखापत्तनम से बेंगलुरु एनसीए जाने को कहा गया, जो उन्होंने किया।
सूत्रों ने कहा एनसीए ने बुमराह को बताया कि उनका फिटनेस टेस्ट नहीं किया जा सकता और वह मुंबई जाएं, इस तेज गेंदबाज ने वैसा ही किया। कोई भी फैसला उनका निजी नहीं था। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए अच्छी खबर यही है कि बुमराह पूरी तरह फिट हैं और मैच खेलने को तैयार हैं। सूत्रों ने कहा जो भी विवाद रहा, गेंदबाज को उससे दूर रहने की जरूरत है।
बुमराह इस समय 26 साल के हैं और भारतीय क्रिकेट में उनका अहम स्थान है। लोगों को अपने अहम को एक तरफ रखकर उनकी तरक्की के लिए काम करना चाहिए, न कि विवाद खड़े करके उनकी राह रोकने की कोशिश करनी चाहिए। बुमराह पहले ही एनसीए क्यों नहीं गए, इस पर सूत्रों ने कहा यह क्रिकेटर का फैसला नहीं होता है। कोई भी खिलाड़ी वही करता है, जो उसे कहा जाता है। अगर राहुल द्रविड़ को एनसीए में बुमराह का फिटनेस टेस्ट नहीं कराने में कोई दिलचस्पी नहीं रही तो उन्हें यही बात बीसीसीआई को बतानी चाहिए थी।