
भारतीय स्प्रिंटर दुती चंद ने पिछले साल ओपन नेशनल चैंपियनशिप में 100 मीटर रेस में अपने ही राष्ट्रीय रेकॉर्ड को और बेहतर किया, लेकिन वह ओलिंपिक क्वॉलिफिकेशन से 0.07 सेकंड दूर रह गईं। इसके बाद उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भी गोल्ड जीता, लेकिन टाइमिंग बेहतर नहीं हुई। दुती इससे परेशान हो रही थीं, कड़ी मेहनत के बाद भी उनका प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक क्वालीफाई करने लायक नहीं हो पा रहा था। लेकिन इस बीच कोरोना संकट की वजह से टोक्यो ओलंपिक टलने से उनकी उम्मीदों को एक बार फिर पंख लग गए हैं।
देश की इस शीर्ष स्प्रिंटर का मानना है कि सभी एथलीट्स के लिए यह एक साल बहुत मायने रखेगा। कुछ को अतिरिक्त वक्त से फायदा होगा वहीं कुछ के लिए यह नई चुनौतियां पैदा करेगा। लॉकडाउन के दौरान भुवनेश्वर में अपने घर में रह रहीं दुती मनमाफिक अभ्यास नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा ओलिंपिक की नई तारीखें भी आ गई हैं, जिससे अब हम उसके हिसाब से खुद को फिर से तैयार कर सकेंगे। हालांकि नए शेड्यूल पर अमल करने के लिए लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार करना होगा।
एशियन गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट इस 24 वर्षीय रनर ने ओलिंपिक्स के एक साल आगे खिसक जाने के कारण ऐथलीटों पर पड़ने वाले असर पर कहा जो सीनियर ऐथलीट हैं जिनकी उम्र ज्यादा हो रही है उनके लिए मुश्किलें थोड़ी बढ़ी हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद इस साल के ओलिंपिक्स के लिए खुद को तैयार किया होगा, लेकिन अब ये खेल एक साल के लिए आगे बढ़ गए हैं।
एथलीटों का करियर ज्यादा लंबा नहीं होता है, ऐसे में उनके लिए एक-एक साल बहुत मायने रखता है। एक साल का समय आगे खिसक जाने के बाद अब सीनियर ऐथलीटों के पास खुद को फिट रखने की बड़ी चुनौती होगी। देश में प्रतियोगिताओं और प्रतिस्पर्धाओं की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए दुती ने कहा उन्हें अपनी तैयारियों के तहत जर्मनी में एक प्रतियोगिता में भाग लेने जाना था, लेकिन कोरोना संकट की वजह से यह रद्द हो गया। अब बाहर प्रतियोगिताएं कब शुरू होंगी और मैं अपनी ट्रेनिंग के लिए बाहर कब जा पाऊंगी यह फिलहाल तय नहीं है। मुझे बड़ी प्रतियोगिताओं और कड़ी प्रतिस्पर्धाओं में उतरने की जरूरत है, इससे तैयारी में बहुत फायदा मिलेगा।