
नई दिल्ली । कहा जा रहा है कि कोरोना संकट से उबरने के बाद यह दुनिया वैसी नहीं रहेगी, जैसी कि पहले थी। यह बात खेलों की दुनिया पर भी लागू होती है। बहुत संभव है कि खेल और खिलाड़ियों की दिनचर्या में हमें कई अहम बदलाव देखने को मिलें। हो सकता है कुछ खेलों के नियम ही बदल दिए जाएं। कुछ खेलों का तो लंबे समय तक शुरू होना भी मुश्किल नजर आ रहा है।
क्रिकेट में लार और पसीने के इस्तेमाल पर बहस पहला उदाहरण भारत में धर्म का रूप ले चुके क्रिकेट का ही लेते हैं। आजकल पूर्व और मौजूदा क्रिकेट दिग्गजों में बहस छिड़ी हुई है कि दोबारा जब खेल शुरू हो तो खिलाड़ियों को लार या पसीने से गेंद चमकाने की इजाजत न दी जाए। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने संकेत दिए हैं कि वह अपने यहां गेंद चमकाने के लिए लार या पसीने के इस्तेमाल पर रोक लगाएगा। चर्चा है कि इसके लिए किसी अन्य पदार्थ की सहायता लेने की छूट मिल सकती है। ऐसी किसी चीज की जिससे कोरोना फैलने का डर न हो।
अटकलें यहां तक लगाई जा रही हैं कि इसके लिए वैसलीन इत्यादि का उपयोग करने की छूट मिल सकती है। हालांकि फिलहाल ये अटकलें ही हैं, लेकिन जिस तरह की बहस छिड़ी हुई है और जिस मजबूती से तर्क दिए जा रहे हैं,उसे देखते हुए इस नियम में कोई बड़ा बदलाव सचमुच हो जाए तो आश्चर्य नहीं। कोरोना की आहट के बाद से ही क्रिकेटरों ने मैदान पर हाथ मिलाना बंद कर दिया था। अब कहा जा रहा है कि दोबारा जब खेल शुरू हो तो खिलाड़ी कुछ दिनों तक मैदान पर खुशियों के पलों में एक-दूसरे से मिलकर सेलिब्रेट करने की आदत से बचेंगे। सोचिए किसी ने अच्छा कैच पकड़ा या कोई महत्वपूर्ण विकेट लिया और खिलाड़ी एक-दूसरे से मिलकर शाबाशी न दें, खुशी न मनाएं तो खेल का उत्साह क्या रहेगा?
इसी तरह टेनिस में कहा जा रहा है कि कुछ दिनों तक डबल्स मुकाबले नहीं होंगे। इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसके मुताबिक खिलाड़ी खुद की गेंद लेकर आएंगे, तौलिया भी उनका खुद का होगा और उन्हें बॉल बॉय तथा मैच अधिकारियों से दो मीटर की दूरी बनाकर रखनी होगा। खिलाड़ियों को लॉकर रूम और शॉवर इस्तेमाल करने की भी इजाजत नहीं होगी। वे न तो दर्शकों को ऑटोग्राफ दे सकेंगे और न ही उनके साथ सेल्फी ले पाएंगे। पानी की बोतल या किसी तरह का खाद्य पदार्थ भी किसी के साथ शेयर नहीं कर सकेंगे।
अगर किसी खेल में इतनी सारी पाबंदियां लगा दी जाएं तो खिलाड़ियों के साथ ही दर्शक का भी रोमांच प्रभावित होना स्वाभाविक है। अन्य खेलों के साथ तो और ज्यादा समस्याएं हैं। रेसलिंग और बॉक्सिंग पूरी तरह कॉन्टैक्ट का खेल है। हॉकी और फुटबॉल में भी खिलाड़ियों का आपस में कॉन्टैक्ट होता है। बात चल रही है कि इन खिलाड़ियों को परिस्थितियां सामान्य होने के बाद कुछ दिनों तक व्यक्तिगत अभ्यास करने की ही इजाजत दी जाए। लेकिन बिना पार्टनर के व्यक्तिगत तौर पर इन खेलों की कितनी और कैसी प्रैक्टिस होगी कहना मुश्किल है। खिलाड़ियों के मनोबल पर भी इसका असर पड़ेगा। ओलिंपिक्स मेडलिस्ट बॉक्सर एमसी मेरी कॉम तो इस संभावित बदलाव को लेकर चिंता भी जाहिर कर चुकी हैं।
इसके अलावा ज्यादातर खिलाड़ी अगले कुछ महीनों तक चीन, जापान, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों का दौरा करने से कतराएंगे। सिर्फ टूर्नमेंट की बात नहीं है। खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए भी इन देशों में भेजा जाता रहा है। कोरोना के डर के चलते टूर्नमेंटों के साथ ऐसे ट्रेनिंग कैंप भी प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि इस डर का एक सकारात्मक पक्ष यह भी है कि विदेशी दौरों के टलने से स्थानीय बुनियादी ढांचे मजबूत हो सकते हैं। क्योंकि उस स्थिति में देश के अंदर ही ट्रेनिंग की सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। कोरोना से संभावित नुकसानों के बीच हम इस बड़े फायदे पर ध्यान दें तो संकट को अवसर में बदलने की वह अहम प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जो जितनी आगे बढ़ेगी उतनी फलदायी होगी।