
लंदन । इंग्लैंड के खिलाफ अगले महीने होने वाली टेस्ट सीरीज के पहले वेस्टइंडीज ने मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों से सहायता मांगी है। कोरोना महामारी के बाद इस सीरीज से ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी को रही है। ऐसे में खिलाड़ियों के ऊपर भारी दबाव भी है। क्रिकेट की बहाली के बाद कई प्रकार के बदलाव भी देखे जाएंगे जिसके लिए खिलाड़ियों को मानसिक रुप से अपने को तैयार करना है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए गेंदबाज गेंद पर लार का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और स्टेडियम में उन्हें दर्शकों भी नजर नहीं आयेंगे। दर्शकों के नहीं होने से भी खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। दर्शकों के रहने से खिलाड़ियों का हौंसला बना रहता है। यहां तक कि दिग्गज खिलाड़ियों का भी मानना है कि दर्शकों से ही उन्हें प्रेरणा मिलती है। मगर कोरोना के कारण अब खिलाड़ियों को बिना दर्शकों के साथ खेलना होगा और इसके लिए इंग्लैंड की टीम खेल मनोवैज्ञानिकों की मदद लेगी।स्टुअर्ट ब्रॉड ने भी इंग्लैंड टीम के खेल मनोवैज्ञानिकों से खिलाड़ियों को मानसिक रूप से इस तरह ढालने में मदद करने की अपील की है, जिससे वे कोरोना वायरस महामारी के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली होने पर खाली मैदानों में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच आठ जुलाई से शुरू हो रही तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला के जरिए कोरोना लॉकडाउन के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट फिर शुरू होगा, ये मैच जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में खेले जाएंगे।ब्रॉड ने एक वीडियो कॉफ्रेंस में कहा कि ये मैच अलग होंगे, क्योंकि दर्शक ही नहीं होंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मानसिक रूप से कठिन चुनौती होगा और हर खिलाड़ी को उसके लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि मैंने अपने खेल मनोवैज्ञानिकों से बात की है कि वे मानसिक रूप से इस तरह से ढालने में मदद करें कि हम नए माहौल में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकें।