
नई दिल्ली । 23 जुलाई से शुरु हो रहे टोक्यो ओलंपिक में इस बार भारतीय दल के 120 खिलाड़ी 18 खेलों में अपनी दावेदारी पेश करेंगे। ऐसे में भारत को इस बार अधिक तादाद में पदक मिलने की उम्मीदें हैं। पिछली बार भारत को एक रजत और एक कांस्य सहित केवल दो पदक मिले थे। इस बार भारत को बैडमिंटन में महिला खिलाड़ी पीवी सिंधु से स्वर्ण पदक की उम्मीद है। पिछली बार सिंधु को रजत ही मिल पाया था। सिंधु ने साल 2019 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर एक अहम उपलब्धि हासिल की थी। इस बार महिला एकल में भारत की ओर से केवल सिंधु ही उतर रही हैं। 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली साइना नेहवाल इस बार क्वालिफाई नहीं कर पायीं हैं, ऐसे में सिंधु पर ही भारत की नजरें टिकीं हैं। सिंधु साल 2016 में पहली बार ओलंपिक में उतरी थीं। ऐसे में उन पर किसी तरह का दबाव नहीं था पर इस बार वह प्रबल दावेदार के तौर पर उतर रही हैं जिससे उनपर दबाव भी रहेगा। सिंधु ने कहा कि मैं किसी भी बड़े टूर्नामेंट में उतरती हूं, तो मुझसे पदक की उम्मीद की जाती है पर मैं लोगों इन उम्मीद के दबाव में नहीं आकर अपना स्वाभाविक खेल खेलूंगी। सिंधु के सामने सबसे बड़ी चुनौती चीन और जापान की खिलाड़ी पेश करेंगी।. इस बार ओलंपिक जापान में हो रहे हैं। ऐसे में जापानी खिलाड़ियों को घरेलू हालातों का लाभ मिलेगा। ओलंपिक में सिंधु को छठी वरीयता मिली हुई है। वहीं चीन की चेन यू फेई को पहली वरीतया मिली है। ताइवान की ताइ जू यिंग को दूसरी, जापान की नोजोमी ओकुमारा को तीसरी, जापान की ही अकाने यामागुची को चौथी और थाईलैंड की रत्नाचोक इंतानोन को पांचवीं वरीयता मिली है.