
भारत ने टोक्यो ओलंपिक में इस बार अपना सबसे बड़ा दल भेजा है और उसे अधिक पदक भी मिलने की उम्मीदें हैं। ओलंपिक में भारत ने सबसे अधिक स्वर्ण हॉकी में जीते हैं जबकि निशानेबाजी में उसे एक बार व्यक्तिगत स्पर्घा में स्वर्ण पदक मिला था। इतिहास पर नजर डालें तो दादासाहेब जाधव व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे। जाधव ने साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीता था।
1948 के लंदन ओलंपिक में केडी जाधव छठे स्थान पर रहे पर उन्होंने अपने खेल से काफी सुर्खियां बटोरीं। लंदन से वापस लौटते ही जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक खेलों की तैयारी शुरू कर दी पर जब हेलसिंकी जाने का समय आया, तो उनके पास पैसे ही नहीं थे। ऐसे में राजाराम कॉलेज के उनके पूर्व प्रिंसिपल ने 7000 रुपये की मदद दी। बाद में राज्य सरकार ने भी 4000 रुपये दे दिए, लेकिन यह रकम काफी नहीं थी। फिर जाधव ने अपना घर गिरवी रखकर और कई लोगों से उधार लेकर हेलसिंकी का सफर तय किया।
जाधव बैंटमवेट फ्रीस्टाइल वर्ग में कनाडा, मैक्सिको और जर्मनी के पहलवानों को पछाड़कर फाइनल राउंड में पहुंचे थे पर यहां वह सोवियत संघ के पहलवान राशिद मम्मादबेयोव से हार गए। इसके बाद ही उन्होंने जापान के स्वर्ण पदक विजेता शोहाची इशी को सामना कर कांस्य पदक अपने नाम किया। जाधव जब कांस्य पदक लेकर लौटे तो उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ गयी। 100 बैलगाड़ियों से उनका स्वागत किया गया। 1955 में उन्हें मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी गई। जाधव रिटायरमेंट से 6 महीने पहले असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बनाए गए थे।
एक सड़क हादसे में 58 की उम्र में इस पहलवान की मौत हो गयी।