
तैराक माना पटेल ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही है। माना ने छोटी सी उम्र में अपने प्रदर्शन से सभी को हैरान करना शुरू कर दिया पर एक समय ऐसा भी आया जब वह तनाव में थी ओर तैयारी छोड़ना चाहती थी पर मां की एक सलाह के बाद उसकी जिंदगी बदली और वह तैराकी में जमी रही जिसके कारण आज यहां तक पहुंची है।
माना ने कहा, ‘‘बचपन में मैं बहुत पतली थी और मुझे भूख नहीं लगती थी। इसलिये मेरी मां ने मुझे साल 2008 में गर्मियों की छुट्टियों में तैराकी में डाला कि मैं थोड़ी देर के लिये पानी में खेलूंगी और घर आकर अच्छी तरह खाना खाऊंगी। इसी दौरान मैं तैराकी का मजा लेने लगी और फिर चीजें सही दिशा में बढ़ने लगीं।’’ धीरे धीरे मैंने क्लब स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। लोगों ने मेरी रेस देखकर कहा की वह बहुत अच्छी तैराक है। माना ने ‘यूनिवर्सैलिटी कोटे’ के जरिये टोक्यो खेलों में 100 मीटर बैकस्ट्रोक स्पर्धा के लिये क्वालीफाई किया। उन्होंने 13 साल की उम्र में तीन राष्ट्रीय बैकस्ट्रोक रिकार्ड बना दिये थे। माना ने 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में छह पदक जीते लेकिन 2017 में उनका कंधा चोटिल हो गया जिसके बाद सबकुछ बदल गया।
इस तैराक ने कहा, ‘‘मेरे बायें कंधे में चोट लगी थी तो मुझे सभी रेस से हटना पड़ा और मैं सिर्फ अपने रिहैबिलिटेशन पर ध्यान लगा रही थी। ’’ रिहैब के दौरान उनका करीब छह किग्रा वजन कम हो गया। ऐसा भी समय आया जब वह सचमुच तैराकी छोड़ना चाहती थी। तभी माना की मां की सलाह ने उनका रुख बदल दिया। मेरी मां ने कहा कि अगर तुम तैराकी छोड़ती हो तो शायद तुम्हें इस तरह छोड़ने की आदत पड़ जाये और पूरी जिंदगी तुम यही करती रहोगी। इसलिए अपने पर भरोसा रखकर आगे बढ़ो।