
नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक 2020 खत्म हो गया है और भारत ने इस बार 7 मैडल जीत ओलंपिक में इतिहास रचा है और अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लोग इससे कुछ खफा हैं। पाकिस्तान के लोग अपने प्रधानमंत्री इमरान खान से सवाल कर रहे हैं कि वो खुद ही खिलाड़ी रह चुके हैं, लेकिन इस बार पाकिस्तान की झोली खाली कैसे रह गई। दरअसल, लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को ओलंपिक का मेडल मिले लंबा वक्त हो गया है, ऐसे में सरकारें क्या कर रही हैं। ओलंपिक में इस बार पाकिस्तान का कुल 22 सदस्यों का दल गया था, इसमें सिर्फ 10 ही खिलाड़ी थे। बाकि 12 अधिकारी लोग थे। इतना छोटा दल भेजे जाने के कारण भी लोग नाराज हैं। पाकिस्तान करीब तीन दशकों से एक ओलंपिक मेडल के इंतज़ार में है, पाक ने आखिरी बार 1992 में हॉकी का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था। वहीं, आखिरी बार पाकिस्तान ने 1988 में कोई व्यक्तिगत मेडल जीता था।
यहां उल्लेखनीय है कि भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के जिस फाइनल में गोल्ड जीता, उसी में पाकिस्तान के अरशद नदीम टॉप 3 में जगह नहीं बना पाए थे। हालांकि, वो फाइनल का हिस्सा ज़रूर थे। जब पाकिस्तान में सरकार से सवाल पूछना शुरू हुआ तो इमरान खान भी सामने आए, उन्होंने एक बयान में कहा है कि वह खेल को लेकर ज्यादा वक्त नहीं दे सके। एक नई बहस ये भी छिड़ी है कि नीरज चोपड़ा के मुकाबले अरशद नदीम को कैसी ट्रेनिंग मिल पाई थी। जानकारी के मुताबिक, अरशद ओलंपिक से पहले ईरान गए और पंजाब में भी उन्होंने ट्रेनिंग की। जबकि नीरज चोपड़ा स्वीडन में ही ट्रेनिंग कर रहे थे। अरशद नदीम को लेकर पाकिस्तान एथलेटिक्स एसोसिएशन के प्रमुख मेजर जनरल रिटा अकरम साही ने दावा किया कि उन्होंने अशरफ नदीम की ट्रेनिंग पर 2 करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन वो भूल गए कि खुद एथलेटिक्स एसोसिएशन का सालाना बजट सिर्फ 30 लाख रुपये है। इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि हाल ही में पाकिस्तान ओलंपिक एसोसिएशन ने सरकार के सामने 20 करोड़ रुपये सरेंडर किए। जो वो खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पर खर्च नहीं कर सका। यही कारण है कि नीरज बनाम अरशद की तुलना की जा रही है। हालांकि, अरशद नदीम ने खुद नीरज चोपड़ा को मेडल जीतने पर बधाई दी है, वहीं पाकिस्तान मे भी बड़ी संख्या में लोगों ने नीरज चोपड़ा को शुभकामनाएं दी।