
‘अंधविश्वासी’ भी हैं स्टार क्रिकेटर
स्टार क्रिकेट भी अंधविश्वासी रहे हैं। बेहतर प्रदर्शन के लिए ये खिलाड़ी मेहनत, काबिलियत के अलावा कई तरह के टोटकों और अंधविश्वास पर भी निर्भर रहते हैं। कोई खास रंग और नंबर को अपने साथ रखना पसंद करता है तो कोई अपनी पसंदीदा चीजों को साथ लेकर चलना चलता है ताकि उन्हें असुरक्षा की भावना नहीं आए और वह अपने इन टोटकों से अच्छे प्रदर्शन का विश्वास हासिल कर सकें।
यहां तक की सचिन तेंदुलकर भी इससे दूर नहीं रहे हैं। सचिन बल्लेबाजी के लिए जाने से पहले खास तरह का पैटर्न फॉलो करते थे। सचिन हमेशा अपने बाएं पैर में पहले पैड पहनते थे। उन्हें लगता था कि इससे वे मैदान पर अच्छा करेंगे। सचिन के कई रिकॉर्ड तोड़ने वाले विराट कोहली भी एक समय तक अंधविश्वास से घिरे हुए थे। कोहली ने जब रनों का अंबार लगाने की शुरुआत की थी, तब उन्होंने जो ग्लव्स पहने थे, कोहली लंबे समय तक उन्हें ही दोहराते रहे। उन्हें लगता था कि इन्ही ग्लव्स के दम पर उनके बल्ले से रन निकल रहे है हालांकि एक समय के बाद जब उन्हें यह अहसास हो गया कि उनकी प्रतिभा इस अंधविश्वास से कहीं ज्यादा ताकतवर है तो उन्होंने इससे छुटकारा पा लिया।
भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ठीक सबसे पहले दाएं पैर में थाईपैड पहनना पसंद करते थे। साथ ही अंधविश्वास के कारण राहुल कभी भी मैच में नए बल्ले से नहीं खेलते थे। अनिल कुंबले भी अपने करियर में एक समय इससे पीछे नहीं रहे. कुंबले ने ऐतिहासिक फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच की एक पारी में पूरे 10 विकेट लिए थे। इस मैच में कुंबले जब भी गेंदबाजी करने जाते थे, तो सचिन को अपनी कैप और स्वेटर देते थे।
पूर्व ऑलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ और उनके 'लाल रुमाल' का किस्सा भी काफी प्रचलित है। 1983 विश्व कप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच अमरनाथ मैदान पर जब भी फील्डिंग करने जाते थे तो वह अपनी जेब में लाल रुमाल रखते थे। मोहम्मद अजहरुद्दीन भी टोटके आजमाने से पीछे नहीं रहे।