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 हार से निराश आनंद बोले, अपना ही दुश्मन बन जाता हूं 

 हार से निराश आनंद बोले, अपना ही दुश्मन बन जाता हूं 

 हार से निराश आनंद बोले, अपना ही दुश्मन बन जाता हूं 
 पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कहा है कि वह उम्मीदों का बोझ बढ़ाने के कारण अपने ही दुश्मन' बनते जा रहे हैं। आनंद टाटा स्टील रैपिड ऐंड ब्लिट्ज टूर्नमेंट की आखिरी पांच बाजियों में केवल एक अंक हासिल कर पाए और इस तरह से शतरंज टूर से बाहर हो गए। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास इसके बारे में बताने के लिए शब्द नहीं है। मैं अपने को मौका देता हूं और फिर अपना ही दुश्मन बन जाता हूं। यह मुझे परेशान करता है। मेरे लिए अगर मौका नहीं होगा तो यह ज्यादा अच्छा होगा।’ 49 वर्षीय आनंद ब्लिट्ज में माहिर होने के बाद भी 15वें दौर में नीदरलैंड के अनीश गिरी के हाथों हार गये थे। आनंद इससे इतने निराश थे कि उन्हें ब्रिटिश अभिनेता जॉन क्लीसे की 1986 में रिलीज हुई फिल्म क्लॉकवाइज का एक संवाद ‘मुझे निराशा से परेशानी नहीं, मैं निराशा झेल सकता हूं। मैं उस उम्मीद का सामना नहीं कर पा रहा हूं’ याद आ गया। उन्होंने कहा, ‘मुझे असफलता से कोई परेशानी नहीं लेकिन मैं उम्मीदों के बोझ तले दबता जा रहा हूं। मैं आज यही कर रहा था। मैं खुद को लगातार मौके दे रहा था और फिर खुद को बर्बाद कर लिया।’ उन्होंने कहा, ‘यह अनीश के खिलाफ मुकाबला ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ। मैं जीत रहा था लेकिन समय के बारे में भूल गया। अगर मैं यह मुकाबला जीत जाता तो दौड़ में बना रहता।’


 

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