
इसलिए कोई नहीं बनना चाहता सीएसी का हिस्सा : गांगुली
बीससीआई के नये अध्यक्ष सौरव गांगुली का मानना है बीसीसीआई संविधान के एक नियम के कारण कोई भी पूर्व क्रिकेटर बोर्ड में मानद आधार पर सेवाएं नहीं देना चाहता। गांगुली के अनुसार, 'हितों के टकराव संबंधी नियम का कोई मतलब नहीं है। इसे बदलना ही चाहिए। मैंने पहले भी ऐसा कहा है.'
हितों के टकराव संबंधी नियम के चलते ही बीसीसीआई क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) का गठन नहीं कर पा रही है। कोई भी पूर्व क्रिकेटर इस समिति का हिस्सा बनने के लिए आगे नहीं आ रहा है, क्योंकि चयनकर्ताओं की नियुक्ति के बाद अगले दो साल तक उसके पास करने के लिए कुछ काम नहीं होगा।
क्रिकेट सलाहकार समिति के बारे में गांगुली ने कहा, 'सीएसी के पास ज्यादा काम नहीं है। हम लगातार इसके बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन सीएसी का काम चयनकर्ता और कोच की नियुक्ति करने का है। ऐसे में जब आप चयन समिति नियुक्त कर देते हैं तो ये चार साल तक चलती है। कोच नियुक्त होने के बाद तीन साल का कार्यकाल होता है। ऐसे में पूरे समय सीएसी की क्या जरूरत है। हम सीएसी बनाएंगे। मैं हितों के टकराव मामले पर नैतिक अधिकारी डीके जैन से मिला हूं। हम किसी व्यक्ति को नियुक्त नहीं करना चाहते जिसकी नियुक्ति खारिज कर दी जाए।'